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बीए सेमेस्टर-3 प्राचीन भारतीय इतिहास

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2649
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-3 प्राचीन भारतीय इतिहास

प्रश्न- "प्रतिहार वंश के शासकों में मिहिरभोज सर्वाधिक महत्वपूर्ण शासक था।' स्पष्ट कीजिए।

अथवा
“मिहिरभोज प्रतिहार वंश का महानतम शासक था। इस कथन का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
अथवा
"मिहिरभोज प्रतिहार वंश का महानतम शासक था।' वर्णन कीजिए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. मिहिरभोज प्रथम का इतिहास लिखिए।
2. मिहिरभोज की उपलब्धियाँ बताइए।
3. मिहिरभोज एक महान शासक था।' सिद्ध कीजिए।

अथवा
मिहिरभोज प्रतिहार वंश का महान शासक था। विवेचना कीजिए।
4. मिहिरभोज की सांस्कृतिक उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।

उत्तर -

मिहिरभोज प्रथम ( 836-889 ई.)

प्रतिहार नरेश मिहिरभोज प्रथम, अपने समय का उत्तर भारत का सबसे महत्वपूर्ण और शक्तिशाली सम्राट था। उसके सम्बन्ध में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से अनेक शिलालेख और साहित्यिक विवरण मिलते हैं जिनके आधार पर आदिवराह भोज के इतिहास का निर्माण किया जा सकता है। ये शिलालेख और साहित्यिक विवरण निम्नलिखित हैं-

1. वराह लेख (लखनऊ संग्रहालय लेख).
2. दौलतपुर अभिलेख (जोधपुर संग्रहालय लेख),
3. देवगढ़ स्तम्भ शिलालेख (झाँसी).
4. ग्वालियर के दो अभिलेख,
5. अहर शिलालेख,
6. पहेवा अभिलेख (करनाल).
7. सगरताल प्रशस्ति,
8. देहली फ्रेगमेन्टरी इन्सक्रिपशन,
9. भावनगर फ्रेगमेटरी इन्सक्रिपशन,
10. ऊना (जूनागढ़) लेख (यह लेख भोज के उत्तराधिकारी महेन्द्रपाल के सामन्त अवनिवर्मन द्वितीय के समय का है परन्तु इससे भोज के शासन की कुछ घटनाओं पर प्रकाश पड़ता है),
11. चाटसू शिलालेख,
12. राजतरंगिणी का विवरण तथा
13. अरब यात्री सुलेमान का विवरण।

महत्वपूर्ण विजयें तथा उपलब्धियाँ

भोज के समक्ष सर्वप्रथम प्रतिहार साम्राज्य के उन प्रदेशों पर पुनः अधिकार करने का प्रश्न था जो उसके पिता के निर्बल शासन काल में प्रतिहार साम्राज्य से निकल गये थे। अपनी इस महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए भोज को उत्तर पूर्वी भारत में बंगाल के पालों तथा उत्तर-पश्चिम में कश्मीर नरेश का सामना करना था। गुहिल तथा कलचुरी वंश ने उसकी अधीनता स्वीकार कर ली थी राष्ट्रकूट नरेश अमोघवर्ष इस समय अपने आन्तरिक मामलों में जुटा था और इसका लाभ उठाकर उसे अपने पूर्व अपमान का प्रतिशोध लेना था। अतः इस साहसी और पराक्रमी नरेश ने इस विजय अभियान को क्रमशः प्रारम्भ क्रिया।

कालिंजर मण्डल तथा गुर्जरात्र पर अधिकार - भोज ने अपने पितामह के काल के सामन्त वंशजों पर विजय प्राप्त की जिन्होंने उसके पिता रामभद्र के दुर्बल शासन काल का लाभ उठाकर अपनी स्वतन्त्रता घोषित कर दी थी। बराह ताम्रपत्र के अनुसार भोज ने सर्वप्रथम बुन्देलखण्ड पर अपना आधिपत्य स्थापित किया और कालिंजर मण्डल के उदम्बरा विषय में नागभट्ट द्वारा प्रचलित दान को पुनः संक्रम किया। इस प्रदेश पर चन्देलों के सत्ता प्राप्त कर लेने के उपरान्त भी दसवीं शताब्दी के मध्य तक गुर्जर प्रतिहारों का अधिकार बना रहा। 

गुहिल और कलचुरियों पर विजय - मिहिरभोज ने उत्तर में हिमालय की तराई तक अपनी सीमाओं का विस्तार किया। बालादित्य के चाटसू अभिलेख के अनुसार गुहिल राजकुमार हर्षराज ने उत्तर के शासकों पर विजय प्राप्त की तथा भोज को उपहार स्वरूप अश्व भेंट किये। डॉ. डी. आर. भण्डारकर का मत है कि उक्त भोज कन्नौज का प्रतापी नरेश मिहिरभोज ही था। सम्भव हर्षराज ने अपने शासक भोज प्रथम के अन्तर्गत उत्तर के राजाओं से युद्ध किया था, जो इस बात का प्रमाण है कि गुहिल वंश भोज के अधीन था।

कहला अभिलेख के अनुसार भोज की सत्ता हिमालय के चरणतल तक विस्तृत थी। इस लेख से ज्ञात होता है कि गोरखपुर के कलचुरि वंश के गुणाम्बबोधि देव ने भोजदेव से कुछ भूमि प्राप्त की थी। इतिहासकार कीलहान ने इस भोज का समीकरण भोज प्रथम से किया है। गुणाम्बबोधि देव भोज प्रथम का समकालीन था। इस कथन की पुष्टि गुणाम्बबोधि देव के नये उत्तराधिकारी के एक लेख से होती है। यह लेख सन् 1077 ई. का है। यदि प्रत्येक शासन के लिए 25 वर्ष का समय स्वीकार किया जावे तो गुणाम्बबोधि देव की तिथि नवीं शताब्दी के मध्य में ठहरती है जोकि कन्नौज नरेश मिहिर भोज का समकालीन था। इससे स्पष्ट होता है कि इस वंश पर भी भोज का अधिकार था।

बंगाल के पालवंशीय नरेश और मिहिरभोज - अपनी शक्ति को कन्नौज में सुदृढ़ करने के उपरान्त मिहिरभोज ने बंगाल के पालवंशीय शासकों से लोहा लिया। उस समय बंगाल का पालवंशीय नरेश देवपाल, प्रतिहार नरेश मिहिरभोज के समकालीन था। बदल शिलालेख में देवपाल के उत्तरी भारत के क्रियाकलापों का अत्यन्त आकर्षक ढंग से वर्णन किया गया है। इसके अनुसार देवपाल ने हिमालय से लेकर विन्ध्य पर्वत तक तथा पूर्वी सागर से लेकर पश्चिमी सागर तक सम्पूर्ण प्रदेशों से प्राप्त कर किया।, मुंगेर अभिलेख में भी इसी प्रकार का विवरण है। यद्यपि उपरोक्त विवरण अत्यन्त अतिश्योक्तिपूर्ण है, फिर भी इतना तो निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि देवपाल ने उत्तर भारत में कुछ सैनिक अभियान अवश्य किये थे। एक ही समय में दो शक्तियों के उदय होने से उत्तर भारत में शक्ति परीक्षण होना स्वाभाविक ही था। इसके कुछ प्रमाण मिलते हैं। कहल अभिलेख के अनुसार गुणाम्बवोधि देव ने गौड़ नरेश के ऐश्वर्य का हरण कर लिया। गुणाम्बबोधि देव ने भोज प्रथम का समकालीन और अधीन शासक था। सम्भवतः गुणाम्बबोधि देव ने भोज प्रथम के साथ पाल नरेश देवपाल पर विजय प्राप्त की थी। ग्वालियर अभिलेख से भी उक्त कथन की पुष्टि होती है। इसमें कहा गया है कि देवपाल की लक्ष्मी ने भोज को अपना स्वामी कर लिया।

ध्यान देने योग्य बात यह है कि उत्तर प्रदेश की पूर्वी सीमा के उस पार भोज के शिलालेख नहीं मिलते। फिर उसने पाल प्रदेशों पर किस प्रकार आधिपत्य स्थापित किया होगा। इसका निश्चित उत्तर देना तो कठिन है। परन्तु डॉए त्रिपाठी का यह विचार कि भोज के आगे बढ़ने पर उसे कुछ असफलताओं का सामना करना पड़ा। सम्भवतः ऊपर वर्णित बदल अभिलेख का अर्थ भी यही है कि देवपाल ने भोज पर विजय प्राप्त की थी। देवपाल ने 40 वर्षों की दीर्घकालीन अवधि (सन् 815-853 तक) शासन किया था ! इस कारण यह निष्कर्ष निकालना कि पराजित नरेश भोज प्रथम ही था उचित ही है।

दक्षिण-पश्चिम के प्रदेश - पालों के साथ संघर्ष में असफलता होते देखकर भोज ने अन्य दिशाओं में अभियान करना प्रारम्भ किया। प्रतापगढ़ अभिलेख के अनुसार भोजदेव ने चौहान वंश से अति प्रसन्न था। प्रतापगढ़ अभिलेख महेन्द्रपाल द्वितीय के काल का है तथा दक्षिणी राजपूताने में प्राप्त हुआ है। इसके अनुसार भोज ने दक्षिण की ओर अभियान किया था। सम्भवतः भोज ने चौहानों की सहायता से दक्षिण राजपूताना तथा अवन्ति के चारों ओर के प्रदेशों पर जो नर्मदा नदी तक विस्तृत थे अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया। विद्वानों ने इन चाहमानों का समीकरण शाकम्भरी के चौहानों से किया है क्योंकि नागभट्ट द्वितीय के समय से ही वे गुर्जर प्रतिहारों के सामन्त के रूप में शासन कर रहे थे।

वस्त्रापथ महाभात्य का साक्ष्य - स्कन्द पुराण के वस्त्रापथ महात्मय के अनुसार, वनपाल ने भोज को सूचना दी कि गिरनार के वनों में एक असीमित सुन्दर हरिणमुखी नारी रहती है। इस नारी को प्राप्त करने के लिए भोज ने दैवतक के वनों में अपनी सेना भेज दी तथा उस परंम सुन्दरी को कान्यकुब्ज लाया गया। यह इस बात का प्रमाण है कि भोज ने सूरक्षेत्र तक अपनी सेनाएं भेजी थीं।

राष्ट्रकूटों से युद्ध - भोज के दक्षिण पश्चिम अभियानों के परिमाणस्वरूप प्रतिहार साम्राज्य की सीमाएं राष्ट्रकूट साम्राज्य से जा लगी। प्रतिहारों के परम्परागत शत्रु थे। अतः दोनों में संघर्ष होना अनिवार्य था। उस संघर्ष का प्रारम्भ भोज ने ही किया, परन्तु अपने पूर्ववर्ती शासकों के समान ही उसे अधिक सफलता नहीं मिल सकी। बगुआ अभिलेख के अनुसार राष्ट्रकूटों की गुजरात शाखा के ध्रुव से गुर्जरों की शक्तिशाली सेना पर सरलता से विजय प्राप्त कर ली।

इन पारस्परिक विरोधी साक्ष्यों के आधार पर कोई निश्चित निष्कर्ष निकालना अत्यन्त कठिन है। प्रतिहार शासकों ने दक्षिण में राष्ट्रकूटों के विरुद्ध एक सुदृढ़ सेना का गठन कर रखा था। परम्परागत शत्रुओं में सीमा के प्रश्न पर तनाव स्वाभाविक ही था, अतः कभी किसी को विजय प्राप्त होती थी और कभी किसी को। साक्ष्यों के अभाव में इससे अधिक कुछ भी नहीं कहा जा सकता। 

मिहिरभोज का उत्तर-पश्चिम में अभियान - अपनी विस्तारवादी नीति का अनुकरण करके भोज ने उत्तर-पश्चिम की दिशा में भी सैनिक अभियान किया। सम्भवतः भोज ने सतलज नदी के पूर्व की ओर का क्षेत्र अर्थात् अपने साम्राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों पर अपना अधिकार स्थापित किया। पहेवा शिलालेख ( सन् 882) के अनुसार कुछ अश्व विक्रेताओं ने स्थानीय बाजार में कुछ घोड़ों का व्यापार किया। यह व्यापार भोज देव शुभ के एवं विजयी शासन में किया गया। कल्हण की राजतरंगिणी से भी इस कंथन की भली-भांति पुष्टि होती है। इसके अनुसार भोज ने थक्कय वंश के राज्य के कुछ प्रदेशों पर अधिकार किया था। ये प्रदेश अविभाजित पंजाब के पूर्वी भाग अथवा हरियाणा के मध्यवर्ती प्रदेश थे।

भोज का साम्राज्य विस्तार - भोज की उपरोक्त सैनिक गतिविधियों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि मिहिरभोज ने कन्नौज के राज्य की सीमाओं को चारों दिशाओं में बढ़ाने का प्रयास किया। उत्तर में उसका साम्राज्य हिमालय से लेकर पूर्व के पाल साम्राज्य पश्चिमी सीमा तक तथा दक्षिण पूर्व में कौशाम्बी तथा दक्षिण में बुन्देलखण्ड से लेकर पश्चिम में राजपुताने के विशाल भू-खण्ड तक विस्तृत था।

अरब यात्री सुलेमान का विवरण - आर्थिक दृष्टि से भोज का साम्राज्य सुसम्पन्न, सुशासित तथा सुसंगठित स्थिति में था। सुलेमान नामक अरबी यात्री ने भारतीय नरेश जुर्ज (गुर्जर) के सम्बन्ध में लिखा है कि वह विशाल सेना का स्वामी था और किसी भी शासक के पास उससे अच्छी अश्व सेना नहीं थी। निःसंदेह वह अरबों का शत्रु था, फिर भी वह यह स्वीकार करता था कि अरब नरेश सभी नरेशों में सर्वश्रेष्ठ हैं। भारतीय नरेशों में वह इस्लाम का सबसे कट्टर शत्रु था। उसका साम्राज्य अत्यन्त विशाल था।

भोज के अन्तिम दिन - स्कन्द पुराण के वस्त्रापथ महात्मय के अनुसार बतख मुखी सुन्दरी के मुख से सुवर्ण रेखा के पवित्र जल के महात्मय को सुनकर भोज प्रथम ने तीर्थस्थलों की यात्रा करने की इच्छा व्यक्त की और कुछ समय के लिये राजकार्य अपने पुत्र महेन्द्रपाल को सौंप दिया। अहर शिलालेख के अनुसार भोज सन् 904-05 में शासन कर रहा था।

भोज का मूल्याँकन - निसन्देह भोज अपने समय का एक महान् और प्रतापी सम्राट था। वह मिहिरभोज, आदिवाराह और प्रभास आदि नामों से विख्यात् था। इस सम्राट की अरबी यात्री सुलेमान ने अत्यधिक प्रशंसा की है। अपने साम्राज्य की शासन व्यवस्था का भली-भाँति संचालन करने के लिये उसने अनेक सामन्त नियुक्त किये। इनके गुणाम्बवोधिदेव, बाऊक, कक्का, हर्ष देव आदि का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है। इन सामन्तों ने कुशल प्रशासन के अतिरिक्त भोज को अपने विशाल साम्राज्य को सीमाओं में वृद्धि करने में भी सहायता दी। उसका साम्राज्य त्रिकोणीय संघर्ष का केन्द्र बना रहा, परन्तु उस परम पराक्रमी नरेश ने लगभग अर्द्धशताब्दी तक कन्नौज के मस्तक को ऊँचा उठाये रखा। उसने अपने उत्तराधिकारी एवं पुत्र महेन्द्रपाल के लिये एक विशाल साम्राज्य छोड़ा। उसके सामने अरब आक्रमणकारी आगे बढ़ने का साहस न कर सके। वास्तविकता तो यह है कि भोज ने जिस सुसंगठित और केन्द्रित साम्राज्य की स्थापना की, वह शताब्दियों तक उसके उत्तराधिकारियों के हाथों चलता रहा। निश्चित रूप से वह प्रतिहार वंश का महान शासक था। अपने वीर कृत्यों द्वारा उसने भारत-भूमि की महान सेवा की थी।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास को समझने हेतु उपयोगी स्रोतों का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- सन 1909 ई. अधिनियम पारित होने के कारण बताइये।
  3. प्रश्न- प्राचीन भारत के इतिहास को जानने में विदेशी यात्रियों / लेखकों के विवरण की क्या भूमिका है? स्पष्ट कीजिए।
  4. प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, (1909 ई.) के प्रमुख प्रावधानों का उल्लेख कीजिए।
  5. प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
  6. प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1909 ई. के मुख्य दोषों पर प्रकाश डालिए।
  7. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के विषय में आप क्या जानते हैं?
  8. प्रश्न- 1935 के भारत सरकार अधिनियम की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
  9. प्रश्न- शिलालेख, पुरातन के अध्ययन में किस प्रकार सहायक होते हैं?
  10. प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1935 ई. का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
  11. प्रश्न- न्यूमिजमाटिक्स की उपयोगिता को बताइए।
  12. प्रश्न- 'भारत के प्रजातन्त्रीकरण में 1935 ई. के अधिनियम ने एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। क्या आप इस कथन से सहमत हैं?
  13. प्रश्न- पुरातत्व स्मारक के महत्वपूर्ण कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  14. प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1919 ई. के प्रमुख प्रावधानों पर प्रकाश डालिए।
  15. प्रश्न- अरबों के आक्रमण के समय उत्तर भारत की राजनीतिक दशा का वर्णन कीजिए।
  16. प्रश्न- सन् 1995 ई. के अधिनियम के अन्तर्गत गर्वनरों की स्थिति व अधिकारों का परीक्षण कीजिए।
  17. प्रश्न- हर्षवर्द्धन के इतिहास को समझने में ह्वेनसांग के विवरण हमारी कहाँ तक सहायता करते हैं?
  18. प्रश्न- माण्टेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार (1919 ई.) के प्रमुख गुणों का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- हर्ष की प्रारम्भिक परिस्थितियों का उल्लेख करते हुए उसकी राजनैतिक एवं सांस्कृतिक उपलब्धियाँ बताइए।
  20. प्रश्न- लोकतंत्र के आयाम से आप क्या समझते हैं? लोकतंत्र के सामाजिक आयामों पर प्रकाश डालिए।
  21. प्रश्न- हर्ष के पश्चात् कन्नौज की स्थिति का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  22. प्रश्न- लोकतंत्र के राजनीतिक आयामों का वर्णन कीजिये।
  23. प्रश्न- सिन्ध पर अरब आक्रमण के प्रभाव की समीक्षा कीजिए।
  24. प्रश्न- भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को आकार देने वाले कारकों पर प्रकाश डालिये।
  25. प्रश्न- कश्मीर के राजनैतिक इतिहास में भाग लेने वाले वंशों का वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को आकार देने वाले संवैधानिक कारकों पर प्रकाश डालिये।
  27. प्रश्न- कश्मीर के शासक ललितादित्य मुक्तापीड के शासनकाल व राजनैतिक सफलताओं के विषय में बताइए।
  28. प्रश्न- संघवाद (Federalism) से आप क्या समझते हैं? क्या भारतीय संविधान का स्वरूप संघात्मक है? यदि हाँ तो उसके लक्षण क्या-क्या हैं?
  29. प्रश्न- कश्मीर के हिन्दू राज्य का इतिहास हमें किस ग्रन्थ से प्राप्त होता है?
  30. प्रश्न- भारतीय संविधान संघीय व्यवस्था स्थापित करता है। संक्षेप में बताएँ।
  31. प्रश्न- ललितादित्य व यशोवर्मन के मध्य हुए पारस्परिक संर्घष के विषय में बताइए।
  32. प्रश्न- संघवाद से आप क्या समझते हैं? संघवाद की पूर्व शर्तें क्या हैं? भारत के सन्दर्भ में संघवाद की उभरती हुई प्रवृत्तियों की चर्चा कीजिए।
  33. प्रश्न- कन्नौज के शासक यशोवर्मन के प्रारम्भिक जीवन एवं राजनीतिक सफलता के विषय में बताइए |
  34. प्रश्न- भारत के संघवाद को कठोर ढाँचे में नही ढाला गया है" व्याख्या कीजिए।
  35. प्रश्न- यशोवर्मन की मृत्यु के पश्चात् कन्नौज पर अधिकार करने के लिये किन शक्तियों में त्रिकोणात्मक संर्घष प्रारम्भ हुआ? स्पष्ट कीजिए।
  36. प्रश्न- राज्यों द्वारा स्वयत्तता (Autonomy) की माँग से आप क्या समझते हैं?
  37. प्रश्न- कन्नौज का यशोवर्मन किस वंश का था? बताइए।
  38. प्रश्न- क्या भारत को एक सच्चा संघ (True Federation) कहा जा सकता है?
  39. प्रश्न- यशोवर्मन के शासनकाल के विषय में बताते हुए उसके दरबार के विद्वानों तथा उत्तराधिकारियों के नाम बताइए।
  40. प्रश्न- संघीय व्यवस्था में केन्द्र शक्तिशाली है क्यों?
  41. प्रश्न- त्रि-शक्ति संघर्ष के विषय में लिखिए।
  42. प्रश्न- क्या भारतीय संघीय व्यवस्था में गठबन्धन की सरकारें अपरिहार्य हैं? चर्चा कीजिए।
  43. प्रश्न- सिंध राजवंश के विषय में विस्तृत रूप से बताइये।
  44. प्रश्न- क्या क्षेत्रीय राजनीतिक दल भारतीय संघीय व्यवस्था के लिए संकट है? चर्चा कीजिए।
  45. प्रश्न- सिंध पर अरबों की सफलता के क्या कारण थे?
  46. प्रश्न- केन्द्रीय सरकार के गठन में क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
  47. प्रश्न- "चचनामा" के विषय में संक्षिप्त रूप से बताइये।
  48. प्रश्न- भारत में गठबन्धन सरकार की राजनीति क्या है? गठबन्धन धर्म से क्या तात्पर्य है?
  49. प्रश्न- दाहिर व मोहम्मद बिन कासिम पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  50. प्रश्न- भारत के प्रमुख राजनीतिक दलों के विषय में संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
  51. प्रश्न- सिन्ध के इतिहास को संक्षिप्त रूप से अवगत कराइये।
  52. प्रश्न- राजनीतिक दलों का वर्गीकरण करें। दलीय पद्धति कितने प्रकार की होती है? गुण-दोषों के आधार पर विवेचना कीजिए।
  53. प्रश्न- अरोड़ की लड़ाई पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  54. प्रश्न- दलीय पद्धति के लाभ व हानियाँ क्या हैं?
  55. प्रश्न- राजपूतों की उत्पत्ति के सम्बन्ध में विभिन्न मतों की विवेचना कीजिए।
  56. प्रश्न- भारतीय दलीय व्यवस्था में पिछले 60 वर्षों में आए परिवर्तनों के कारणों की चर्चा कीजिए।
  57. प्रश्न- राजपूतकालीन सामाजिक संरचना का वर्णन कीजिए।
  58. प्रश्न- आर्थिक उदारवाद के इस युग में भारत में गठबंधन की राजनीति के भविष्य की आलोचनात्मक चर्चा कीजिए।
  59. प्रश्न- राजपूतों की अग्निकुण्ड से उत्पत्ति के विषय में बताइए।
  60. प्रश्न- दलीय प्रणाली (Party System) में क्या दोष पाये जाते हैं?
  61. प्रश्न- अलबरूनी के भारत विवरण का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  62. प्रश्न- दबाव समूह व राजनीतिक दलों में क्या-क्या अन्तर है?
  63. प्रश्न- राजपूतों के स्थानीय प्रशासन पर प्रकाश डालिए।
  64. प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय दलों के उदय एवं विकास के लिए उत्तरदायी तत्व कौन से हैं?
  65. प्रश्न- राजपूत काल में साहित्य की प्रगति की समीक्षा कीजिए।
  66. प्रश्न- 'गठबन्धन धर्म' से क्या तात्पर्य है? क्या यह नियमों एवं सिद्धान्तों के साथ समझौता है?
  67. प्रश्न- गुर्जर प्रतिहार वंश की उत्पत्ति से सम्बन्धित विभिन्न सिद्धान्तों को स्पष्ट कीजिए।
  68. प्रश्न- क्षेत्रीय दलों के अवगुण, टिप्पणी कीजिए।
  69. प्रश्न- नागभट्ट प्रथम कौन था? प्रतिहार वंश के राजनैतिक इतिहास में उसकी उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  70. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम क्या है? सामुदायिक विकास कार्यक्रम का क्या उद्देश्य है?
  71. प्रश्न- प्रतिहार वंश के शासक वत्सराज के विषय में आप क्या जानते हैं? उनकी उपलब्धियों को स्पष्ट कीजिए।
  72. प्रश्न- 73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  73. प्रश्न- नागभट्ट द्वितीय के विषय में बताते हुए उसकी राजनैतिक उपलब्धियों की चर्चा कीजिए।
  74. प्रश्न- पंचायती राज से आप क्या समझते हैं? ग्रामीण पुननिर्माण में पंचायतों के कार्यों एवं महत्व को बताइये।
  75. प्रश्न- "प्रतिहार वंश के शासकों में मिहिरभोज सर्वाधिक महत्वपूर्ण शासक था।' स्पष्ट कीजिए।
  76. प्रश्न- भारतीय ग्राम पंचायतों के दोषों की विवेचना कीजिए।
  77. प्रश्न- प्रतिहार वंश के शासक महेन्द्रपाल प्रथम के विषय में बताते हुए उसकी विजयों का भी उल्लेख कीजिए।
  78. प्रश्न- ग्राम पंचायतों का ग्रामीण समाज में क्या महत्व है?
  79. प्रश्न- प्रतिहार शासक महिपाल प्रथम के व्यक्तित्व एवं उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
  80. प्रश्न- क्षेत्र पंचायत के संगठन तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।
  81. प्रश्न- गुर्जर प्रतिहारों की शासन व्यवस्था का वर्णन कीजिए।
  82. प्रश्न- जिला पंचायत का संगठन तथा ग्रामीण समाज में इसकी भूमिका की विवेचना कीजिए।
  83. प्रश्न- प्रतिहारकालीन सामाजिक और धार्मिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
  84. प्रश्न- भारत में स्थानीय शासन के सम्बन्ध में 'पंचायत राज' के सिद्धान्त व व्यवहार की आलोचना कीजिए।
  85. प्रश्न- नागभट्ट प्रथम की उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- नगरपालिका क्या है? तथा नगरपालिका के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- प्रतिहार वंश के पतन पर प्रकाश डालिए।
  88. प्रश्न- नगरीय स्वायत्त शासन की विवेचना कीजिए।
  89. प्रश्न- गुर्जर शासन का महत्व बताइए।
  90. प्रश्न- ग्राम सभा के प्रमुख कार्य बताइये।
  91. प्रश्न- प्रतिहार वंश का प्रसिद्ध शासक आप किसे मानते हैं?
  92. प्रश्न- ग्राम पंचायत की आय के प्रमुख साधन बताइये।
  93. प्रश्न- मिहिरभोज के आधिपत्य का विस्तार बताइए।
  94. प्रश्न- पंचायती व्यवस्था के चार उद्देश्य बताइये।
  95. प्रश्न- राजशेखर के ग्रन्थ के विषय में बताइए।
  96. प्रश्न- ग्राम पंचायत के चार अधिकार बताइये।
  97. प्रश्न- त्रिकोणात्मक संघर्ष के क्या कारण थे? इसमें शामिल प्रमुख शक्तियों का उल्लेख कीजिए।
  98. प्रश्न- न्याय पंचायत का गठन किस प्रकार किया जाता है?
  99. प्रश्न- सोलंकी वंश की विस्तृत व्याख्या कीजिये।
  100. प्रश्न- ग्राम पंचायत से आप क्या समझते तथा ग्राम सभा तथा ग्राम पंचायत में क्या अन्तर है?
  101. प्रश्न- सोलंकी वंश के प्रमुख शासकों से अवगत कराइये।
  102. प्रश्न- ग्राम पंचायत की उन्नति के लिए सुझाव दीजिए।
  103. प्रश्न- त्रिकोणात्मक संघर्ष के परिणाम पर टिप्पणी लिखिए।
  104. प्रश्न- ग्रामीण समुदाय पर पंचायत के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
  105. प्रश्न- त्रिकोणात्मक संघर्ष में राष्ट्रकूटों की भूमिका पर प्रकाश डालिये।
  106. प्रश्न- भारत में पंचायत राज संस्थाएँ बताइये।
  107. प्रश्न- त्रिकोणात्मक संघर्ष में पालों की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
  108. प्रश्न- क्षेत्र पंचायत का ग्रामीण समाज में क्या महत्व है?
  109. प्रश्न- सोलंकी वंश के इतिहास को जानने के साधनों से अवगत कराइये।
  110. प्रश्न- ग्राम पंचायत के महत्व को बढ़ाने के लिए सरकार के द्वारा क्या प्रयास किये गये हैं?
  111. प्रश्न- सोलंकी वंश के राजनैतिक इतिहास के विषय में बताइये।
  112. प्रश्न- नगर निगम के संगठनात्मक संरचना का वर्णन कीजिए।
  113. प्रश्न- परमार वंश का इतिहास जानने के साधनों का वर्णन कीजिए। इस वंश की उत्पत्ति के विषय में आप क्या जानते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  114. प्रश्न- नगर निगम के भूमिका एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  115. प्रश्न- परमार शासक मुंज के विषय में बताइए। उसके शासन काल की राजनैतिक उपलब्धियों की चर्चा कीजिए।
  116. प्रश्न- नगरीय स्वशासन संस्थाओं की समस्याओं का वर्णन कीजिए।
  117. प्रश्न- परमार नरेश भोज का परिचय दीजिए। भारतीय इतिहास में उसकी राजनैतिक एवं सांस्कृतिक उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
  118. प्रश्न- नगरीय निकायों की संरचना पर टिप्पणी लिखिए।
  119. प्रश्न- परमार वंश का प्रसिद्ध शासक आप किसे मानते हैं?
  120. प्रश्न- नगर पंचायत पर टिप्पणी लिखिए।
  121. प्रश्न- परमारों की कला पर प्रकाश डालिए।
  122. प्रश्न- दबाव व हित समूह में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  123. प्रश्न- परमार शासन व्यवस्था के बारे में आप क्या जानते हैं?
  124. प्रश्न- दबाव समूह से आप क्या समझते हैं? दबाव समूहों के क्या लक्षण हैं? दबाव समूहों द्वारा अपनाई जाने वाली कार्यप्रणाली के विषय में बतायें।
  125. प्रश्न- परमार वंश के पतन का वर्णन कीजिए।
  126. प्रश्न- दबाव समूह अपने हित पूरा करने के लिए किस प्रकार कार्य करते हैं?
  127. प्रश्न- नवसाहसांकचरित में वर्णित परमारों के इतिहास के विषय में बताइए।
  128. प्रश्न- दबाव समूहों के महत्व पर प्रकाश डालिये।
  129. प्रश्न- भोज के उत्तराधिकारियों का वर्णन कीजिए।
  130. प्रश्न- भारत के प्रमुख राजनीतिक दलों के विषय में संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
  131. प्रश्न- किन साधनों से बंगाल के पाल वंश के विषय में जानकारी प्राप्त होती है? इसकी उत्पत्ति के विषय में बताइए।
  132. प्रश्न- दबाव समूह किसे कहते हैं? दबाव समूह के कार्यों को लिखिए। भारत की राजनीति में दबाव समूहों की भूमिका की चर्चा कीजिए।
  133. प्रश्न- पाल नरेश धर्मपाल के विषय में बताते हुए उसकी उपलब्धियों को स्पष्ट कीजिए।
  134. प्रश्न- मतदान व्यवहार क्या है? मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्वों की विवेचना कीजिए।
  135. प्रश्न- पाल नरेश देवपाल के विषय में आप क्या जानते हैं? उसकी राजनैतिक उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
  136. प्रश्न- दबाव समूह व राजनीतिक दलों में क्या-क्या अन्तर है?
  137. प्रश्न- भारतीय इतिहास में पाल वंश के योगदान का मूल्यांकन कीजिए।
  138. प्रश्न- दबाव समूहों के दोषों का वर्णन करें।
  139. प्रश्न- पालकालीन कला एवं स्थापत्य पर प्रकाश डालिए।
  140. प्रश्न- भारत में श्रमिक संघों की विशेषताएँ। टिप्पणी कीजिए।
  141. प्रश्न- धर्मपाल की पराजय के विषय में बताइए।
  142. प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को स्पष्ट कीजिए।
  143. प्रश्न- पालों की राजनैतिक सत्ता का चर्मोत्कर्ष बताइए।
  144. प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को दूर करने के सुझाव दीजिए।
  145. प्रश्न- हिन्दू शाही के पराक्रमी राजा "भीमदेव के विषय में विस्तृत रूप से बताइये।
  146. प्रश्न- जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1996 के अंतर्गत चुनाव सुधार के संदर्भ में किये गये प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
  147. प्रश्न- हिन्दू शाही को विस्तृत रूप से बताइये।
  148. प्रश्न- क्या निर्वाचन आयोग एक निष्पक्ष एवं स्वतन्त्र संस्था है? स्पष्ट कीजिए।
  149. प्रश्न- हिन्दू शाही वंश पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  150. प्रश्न- चुनाव सुधारों में बाधाओं पर टिप्पणी कीजिए।
  151. प्रश्न- त्रिलोचनपाल एवं भीमपाल पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  152. प्रश्न- मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्व बताइये।
  153. प्रश्न- महमूद गजनी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  154. प्रश्न- चुनाव सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  155. प्रश्न- मुस्लिम आक्रमण के समय उत्तर की राजनीतिक स्थिति का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  156. प्रश्न- अलगाव से आप क्या समझते हैं? अलगाववाद के कारण क्या हैं?
  157. प्रश्न- महमूद गजनवी के भारतीय आक्रमणों का वर्णन कीजिए।
  158. प्रश्न- भारतीय राजनीति में धर्म की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  159. प्रश्न- चन्देल वंश के इतिहास के साधनों का वर्णन करते हुए इस वंश की उत्पत्ति के सम्बन्ध में बताइए।
  160. प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता से आप क्या समझते हैं? धर्मनिरपेक्षता के संवैधानिक पक्ष को स्पष्ट कीजिए।
  161. प्रश्न- चन्देल नरेश यशोवर्मन कौन था? उसकी राजनैतिक उपलब्धियों पर विस्तार से चर्चा कीजिए।
  162. प्रश्न- सकारात्मक राजनीतिक कार्यवाही से क्या आशय है? इसके लिए भारतीय संविधान में क्या प्रावधान किए गए हैं?
  163. प्रश्न- चन्देल नरेश धंग के शासन काल एवं उसकी उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
  164. प्रश्न- जाति को परिभाषित कीजिए। भारतीय राजनीति पर जातिगत प्रभाव का अध्ययन कीजिए। जाति के राजनीतिकरण की विवेचना भी कीजिए।
  165. प्रश्न- चन्देल शासक विद्याधर के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का विवेचन कीजिए।
  166. प्रश्न- निर्णय प्रक्रिया में राजनीतिक दलों में जाति की क्या भूमिका है?
  167. प्रश्न- कीर्तिवर्मन कौन था? उसके शासन काल के विषय में बताते हुए उसकी विजयों का वर्णन कीजिए।
  168. प्रश्न- राज्यों की राजनीति को जाति ने किस प्रकार प्रभावित किया है?
  169. प्रश्न- चन्देल शासन काल में कला की क्या स्थिति थी?
  170. प्रश्न- क्षेत्रीयतावाद (Regionalism) से क्या अभिप्राय है? इसने भारतीय राजनीति को किस प्रकार प्रभावित किया है? क्षेत्रवाद के उदय के क्या कारण हैं?
  171. प्रश्न- चन्देलों के पतन के लिये कौन उत्तरदायी था?
  172. प्रश्न- भारतीय राजनीति पर क्षेत्रवाद के प्रभावों का अध्ययन कीजिए।
  173. प्रश्न- खजुराहो मन्दिरों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  174. प्रश्न- क्षेत्रवाद के उदय के लिए कौन-से तत्व जिम्मेदार हैं?
  175. प्रश्न- प्रतिहार साम्राज्य के पतन के बाद बुन्देलखण्ड (जेजाकभुक्ति) में किस वंश का उदय हुआ?
  176. प्रश्न- भारत में भाषा और राजनीति के सम्बन्धों पर प्रकाश डालिये।
  177. प्रश्न- महमूद गजनवी का चन्देलों पर आक्रमण' के विषय में बताइए।
  178. प्रश्न- उर्दू और हिन्दी भाषा को लेकर भारतीय राज्यों में क्या विवाद है? संक्षेप में चर्चा कीजिए।
  179. प्रश्न- चाहमान वंश के इतिहास जानने के साधनों को बताते हुए इसकी उत्पत्ति का वर्णन कीजिए।
  180. प्रश्न- भाषा की समस्या हल करने के सुझाव दीजिए।
  181. प्रश्न- चाहमान नरेश अणराज के विषय में आप क्या जानते हैं? उसके शासनकाल में हुए प्रमुख युद्धों का वर्णन कीजिए।
  182. प्रश्न- साम्प्रदायिकता से आप क्या समझते हैं? साम्प्रदायिकता के उदय के कारण और इसके दुष्परिणामों की चर्चा करते हुए इसको दूर करने के सुझाव बताइये। भारतीय राजनीति पर साम्प्रदायिकता का क्या प्रभाव पड़ा? समझाइये।
  183. प्रश्न- चाहमान शासक विग्रहराज चतुर्थ के राज्यकाल का मूल्यांकन कीजिए।
  184. प्रश्न- साम्प्रदायिकता के उदय के पीछे क्या कारण हैं?
  185. प्रश्न- पृथ्वीराज तृतीय के विषय में आप क्या जानते हैं? उसकी सफलताओं एवं असफलताओं परं विस्तृत लेख लिखिए।
  186. प्रश्न- साम्प्रदायिकता के दुष्परिणामों की चर्चा कीजिए।
  187. प्रश्न- चाहमानों की शासन व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
  188. प्रश्न- साम्प्रदायिकता को दूर करने के सुझाव दीजिये।
  189. प्रश्न- शाकम्भरी के चाहमान (चौहान) का परिचय दीजिए।
  190. प्रश्न- भारतीय राजनीति पर साम्प्रदायिकता के प्रभाव का विश्लेषण कीजिए।
  191. प्रश्न- विग्रहराज चतुर्थ की उपलब्धियाँ बताइए।
  192. प्रश्न- जाति व धर्म की राजनीति भारत में चुनावी राजनीति को कैसे प्रभावित करती है। क्या यह सकारात्मक प्रवृत्ति है या नकारात्मक?
  193. प्रश्न- पृथ्वीराजरासो पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  194. प्रश्न- "वर्तमान भारतीय राजनीति में धर्म, जाति तथा आरक्षण प्रधान कारक बन गये हैं।" इस पर अपना दृष्टिकोण स्पष्ट कीजिए।
  195. प्रश्न- विग्रहराज चतुर्थ के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
  196. प्रश्न- 'जातिवाद' और सम्प्रदायवाद प्रजातंत्र के दो बड़े शत्रु हैं। टिप्पणी करें।
  197. प्रश्न- चाहमानों का बुन्देलखण्ड पर आक्रमण बताइए।
  198. प्रश्न- उत्तर प्रदेश के बँटवारे की राजनीति को समझाइए।
  199. प्रश्न- गहड़वाल वंश का इतिहास जानने के साधनों का उल्लेख कीजिए। इसकी उत्पत्ति के सम्बन्ध में आप क्या जानते हैं?
  200. प्रश्न- जन राजनीतिक संस्कृति के विकास के कारण का वर्णन कीजिए।
  201. प्रश्न- गहड़वाल शासक गोविन्दचन्द्र के विषय में बताते हुए उसकी विजयों का उल्लेख कीजिए।
  202. प्रश्न- 'भारतीय राजनीति में जाति की भूमिका' संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
  203. प्रश्न- गहड़वाल नरेश जयचन्द्र का परिचय दीजिए। उसकी राजनीतिक सफलताओं तथा असफलताओं का मूल्यांकन कीजिए।
  204. प्रश्न- चुनावी राजनीति में भावनात्मक मुद्दे पर प्रकाश डालिए।
  205. प्रश्न- गहड़वाल नरेशों के 'शासन प्रबन्ध' पर एक लेख लिखिए।
  206. प्रश्न- भ्रष्टाचार से क्या अभिप्राय है? भ्रष्टाचार की समस्या के लिए कौन से कारण उत्तरदायी हैं? इस समस्या के समाधान के लिए उपाय बताइए।
  207. प्रश्न- गोविन्दचन्द्र गहड़वाल के विषय में आप क्या जानते हैं?
  208. प्रश्न- भ्रष्टाचार के लिए कौन-कौन से कारण उत्तरदायी हैं?
  209. प्रश्न- जयचन्द गहड़वाल के राज्यकाल की घटनाएँ बताइये।
  210. प्रश्न- भ्रष्टाचार उन्मूलन के कौन-कौन से उपाय हैं?
  211. प्रश्न- गोविन्दचन्द्र के किन राज्यों से कूटनीतिक सम्बन्ध थे? स्पष्ट कीजिए।
  212. प्रश्न- भारत में राजनैतिक, व्यापारिक-औद्योगिक तथा धार्मिक क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार की विवेचना कीजिए।
  213. प्रश्न- कलचुरि वंश के शासक गांगेयदेव के विषय में आप क्या जानते हैं? उसकी विजयों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  214. प्रश्न- भ्रष्टाचार क्या है? भारत के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, व्यापारिक एवं धार्मिक क्षेत्रों में व्याप्त भ्रष्टाचार का वर्णन कीजिए।
  215. प्रश्न- कलचुरि नरेश लक्ष्मीकर्ण के विषय में बताइए उसके शासन काल की प्रमुख राजनैतिक उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
  216. प्रश्न- भारत के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, व्यापारिक एवं धार्मिक क्षेत्रों में व्याप्त भ्रष्टाचार का वर्णन कीजिए।
  217. प्रश्न- कलचुरि वंश का इतिहास जानने के साधन बताइए।
  218. प्रश्न- भ्रष्टाचार के प्रभावों की विवेचना कीजिए।
  219. प्रश्न- गांगेयदेव के राज्यकाल की घटनाएँ लिखिए।
  220. प्रश्न- सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार की रोकथाम के सुझाव दीजिये।
  221. प्रश्न- कलचुरि वंश के पतन पर टिप्पणी लिखिए।
  222. प्रश्न- भ्रष्टाचार से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  223. प्रश्न- बंगाल के सेन वंश के विषय में आप क्या जानते हैं? यहाँ के शासक विजयसेन की राजनैतिक उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
  224. प्रश्न- भ्रष्टाचार की विशेषताओं को बताइए।
  225. प्रश्न- सेन वंश के नरेश लक्ष्मणसेन का परिचय दीजिए। उसकी राजनैतिक एवं सांस्कृतिक उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
  226. प्रश्न- लोक जीवन में भ्रष्टाचार के कारण बताइये।
  227. प्रश्न- बंगाल के सेन वंश का संक्षिप्त इतिहास लिखिए।
  228. प्रश्न- राष्ट्रपति शासन क्या है? यह किन परिस्थितियों में लागू होता है? राष्ट्रपति शासन लगने से क्या परिवर्तन होता है?
  229. प्रश्न- अरबों के सिन्ध पर आक्रमण का विवेचन कीजिए।
  230. प्रश्न- दल-बदल की समस्या (भारतीय राजनैतिक दलों में)।
  231. प्रश्न- अरबों की सिन्ध विजय के परिणामों का परीक्षण कीजिए।
  232. प्रश्न- राष्ट्रपति और प्रधानमन्त्री के सम्बन्धों पर वैधानिक व राजनीतिक दृष्टिकोण क्या है? उनके सम्बन्धों के निर्धारक तत्व कौन-से हैं?
  233. प्रश्न- महमूद गजनवी के भारत पर आक्रमण के विषय में आप क्या जानते हैं?
  234. प्रश्न- दल-बदल कानून (Anti Defection Law) पर टिप्पणी कीजिए।
  235. प्रश्न- गोरी के आक्रमण के समय भारत की राजनीतिक स्थिति बताइए।
  236. प्रश्न- संविधान के क्रियाकलापों पर पुनर्विलोकन हेतु स्थापित राष्ट्रीय आयोग (2002) की दलबदल नियम पद संस्तुति, टिप्पणी कीजिए।
  237. प्रश्न- मुहम्मद गोरी के भारतीय अभियानों का उल्लेख कीजिए।
  238. प्रश्न- 12वीं शताब्दी में मुसलमानों की विजय और हिन्दुओं की पराजय के क्या कारण थे? स्पष्ट कीजिए।
  239. प्रश्न- तुर्क आक्रमण के क्या कारण थे? इसका भारत पर क्या प्रभाव पड़ा?
  240. प्रश्न- मुस्लिम आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय शासकों के प्रतिरोध पर प्रकाश डालिए।
  241. प्रश्न- महमूद गजनवी के आक्रमणों के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
  242. प्रश्न- अरबों के आक्रमण के समय भारत की दशा क्या थी?
  243. प्रश्न- तराइन के दूसरे युद्ध के परिणामों का वर्णन कीजिए।

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